kijai kripa ki kor swamini shri radhey

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sweetie radhika

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Sunday, July 24, 2011

कृपया अपने नाम में महाराज आदि के बजाय दास या दासानुदास लिखें


इवेंट जय हिंदुत्व-जय भारत पर एक बज्र धूर्त के मायावी परामर्श श्री हरि भक्ति पथ छोड़कर उसकी भक्ति करने से कल्याण होगा कमेन्ट पर उसे मेरा संतुलित एवं सटीक प्रतिउत्तर -मित्रो आपका इसे like करना व सहमति कमेन्ट करना /लिखना  मेरे को संवल प्रदान कर मुझे (मेरे)भक्ति मार्ग निष्ठां -प्रेम में बृद्धि करने में सहाय होगा



-जय सियाराम !!


@चिंतामणि गोस्वामी महाराज जी ... आप भावार्थ समझे बिना अर्थ लगा कर अपने गर्वित वचन झोंक रहे हैं .. जोकि सर्वथा अनुचित एवं भक्तियोग से परे है ! यहाँ स्वीटी राधिका गौतम जी एक व्यक्ति के पूछने पर कि निर्गुण ब्रह्म कि उपासना भी सगुन साकार के सदृश फल दाई है तो निर्गुण ब्रह्म की उपासना क्यों न करें ? ,इसपर स्वीटी राधिका उसे संतुलित रूप से समझाते हुए भक्तियोग की श्रेष्ठता बता रहीं हैं ... यहाँ भक्ति योग को simple(सरल ) एवं easy(शीघ्र ही ग्राह्य ) कह भक्ति योग की अन्य के सापेक्ष सुगमता सिद्ध की है , आप व्यर्थ में ही अपने हठयोग का परिचय दे रहे हैं ! आपको पता है कि हम ब्रजवासी जन जन्म से ही भगवान श्री राधाकृष्ण कि मधुर कृपा से भक्ति योग में डूबे हुए आते हैं -जुड़ना तो सामान्य सी बात है -हम लोग डूबे होते हैं दुर्लभ श्रीजी कृपा में .. और रही आपके भक्ति योग को छोड़ने के परामर्श कि तो आप स्वयं अपने कहे शब्द raskal की भांति ही राक्षस -चांडाल हैं ,जो भक्ति पथ पर आरूढ़ किसी को भक्ति छोड़ने को कह रहे हैं ! इतना स्पष्ट लिखा एवं सम्पूर्ण फेसबुक प्रोफाइल पर -इवेंट की संपूर्ण विवरण में पग -पग पर भक्ति से ओत -प्रोत होने पर भी आप दंभ में चूर अनाप -शनाप बोले जारहे हैं यध्यपि हमारी ओर से कल आपके कमेन्ट को like किया गया था पर आपका मिथ्याभिमान बढ़ गया अतः आपको कुछ कटु भाषा किन्तु  सत्य  आपके कल्याण हेतु लिखी .. कृपया पहले भली भांति भक्तियोग का आश्रय लें फिर बोलें ..
केवल लिखने मात्र से कोई महाराज नहीं होता आप सेवक -दास तो बने नहीं चले सीधे महाराज बनने 
एक बात बताएं राज-तंत्र आज लोक मत में मर गया 
वह कहाँ से पुनः आकर आपको महाराज बना गया ? 
कोन से राज्य के महाराज हो ? किसने बनाया ? 
आपको लज्जा नहीं आती अपने नाम में महाराज लिखने में ? 
क्या दुकान चला रहे हो ठगी की जो महाराज हो कर ऊँचा दिखाना चाहते हो ? 
याद रखें भक्ति-योग में महाराज नहीं दास्य-सेवक-प्रेमी होते हैं ! 
सारी की सारी प्रोफाइल व्यापार गली बनाकर भक्ति योग से हमें दूर करने चला है मायावी ? 
जा अगर भक्ति का कुछ भी अंशांश है तो भगवान के सम्मुख प्रतिज्ञा कर धूर्तता छोड़ने की-
लोगों को मुर्ख बनाने छोड़ने की -अहंकार में मतवाले होने छोड़ने की 
और अपने नाम से महाराज हटा  दास या दासानुदास लिख --
जो भक्तियोग का प्रथम एवं अनिवार्य सोपान है


.. धन्यवाद !

कृपया ध्यान दें कोई अन्य आपको महाराज-स्वामी-गुरु बोले तो चलो मान लिया आपके प्रति उस व्यक्ति में श्रृद्धा भावना है !पर जब आप स्वयं ही अपने आपको स्वामी-महाराज-आचार्य या गुरु बोलेंगे/प्रोफाइल पर नाम में लिखेंगे तो आप केवल धर्मं के नाम पर कुत्सित व्यापार करने वाले हैं ! पुस्तकों से टीप-टीप कर अपनी प्रोफाइल को आत्मा-परमात्मा-भक्ति-प्रेम​ की बातें लिख सीधी-साधी जनता को चेला-चेली बना स्वार्थ सिद्ध करते है ! निश्चित ही आपको इसका फल मिलेगा आज नहीं तो निश्चय कल-जैसी करनी वैसा फल लोग आपको घसीट-घसीट कर आपकी इन्द्रिय स्वामी (गोस्वामी ) की पोल-आप जैसे लालची-स्वार्थी-ठग की पोल खोल आपको स्व- सृजित महाराज सिंघासन से फेंक पूछेंगे और तव सिवा दुर्गति के आपके पास कोई विकल्प नहीं होगा !

जय सनातन धर्मं -जय भक्त-भक्ति-भगवंत-गुरु !!



श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने भी अपने को कभी महाराज नहीं कहा सदैव दास्य भाव प्रीती श्री राधेगोविन्द चरणों में समर्पित की आप को शर्म नहीं आती स्वयं को महाराज लिखने में !
कृपया अपने नाम में महाराज आदि के बजाय दास या दासानुदास लिखें -


जय गौर प्रेमानंदा !!
जय श्री राधेश्याम !!

Sunday, February 20, 2011

तीन लोक ते मथुरा न्यारी

आश्चर्य- मथुरा में एक mr. एवं miss . मथुरा  ,
के नाम से प्रतियोगिता आयोजन !
जिसके जजों द्वारा चयन करते समय बारम्बार खेद व्यक्त करना ,
कि प्रतियोगिता मथुरा में है ,
परन्तु , सब-अधिकांश प्रतिभागी वेस्टर्न प्रजेंटेसन दे रहे हैं !
उनको मथुरा शैली - मथुरा कल्चर का कोई भान नहीं !
मित्रो, यह बड़ा कडुवा सत्य है कि इस  -
"तीन लोक ते मथुरा न्यारी संस्कृति" में 
जोकि बड़े-बड़े आघातों-संकटों के उपरांत भी 
अपने स्वरुप से अविचिलित रही ,
पर आज पश्चिम की भोग प्रधान संस्कृति का आधिपत्य हो गया है !
जहाँ 'सरल-जीवन - उच्च-विचार' केन्द्रित थे 
वहां अधिकांश वर्ग में "दिखावटी-जीवन - ओछे-विचार" संकेंद्रित हैं ! जो संस्कृति दुष्ट तुर्क-मुग़ल आक्रान्ताओं के आक्रमण से नहीं डिगी, जिसको बिट्रिश परतंत्रता की जंजीरें नहीं बांधसकीं वो अपने ही जन-मानस के नैतिक-आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पतन से व्यग्र है !
सबसे पहले मेरा सभी माननीय प्रतियोगिता जजों-(चयन कर्ताओं जिन्हें हम टेलीविजन पर देख रहे हैं)  से अनुरोध है ( मेरा मानना है कि सभी जज-चयनकर्ता , ब्रज संस्कृति-धरोहर के संवाहक हैं, उनका ब्रज-वसुंधरा के प्रचार-प्रसार में अमूल्य योगदान रहा है एवं वर्त्तमान में भी वे इसी दिशा में संलग्न हैं और श्रीजी की कृपा से आगे भी ब्रजसेवा करेंगे  ) कि इस प्रतियोगिता का नाम mr. एवं miss. mathura  न रखकर , जोकि ब्रज-सांस्कृतिक रूप से अनुचित है , ब्रजधाम में सखी एवं ग्वाल-वाल होते हैं ! न कि पश्चिमी मि.,मिस. यदि प्रतियोगिता नाम ही अन्य संस्कृति का होगा तो कैसे प्रतिभागी अन्य संस्कृति को न दर्शायेंगे ! और भाइयो हमारे ब्रज में केवल नन्द-लाल लीलाधारी भगवान श्री कृष्ण ही पूर्ण पुरुष हैं (मि. हैं ) यहाँ किसी और को मि. कहना नितांत अनुचित है  !  कितना अच्छा हो यदि प्रतियोगिता नाम ग्वाल-वाल ब्रज मंडल एवं सखी-सहेली ब्रज मंडल हो जोकि सभी प्रकार से व्यापक द्रष्टिकोण लिए है ,एवं ब्रज-भूमि संस्कृति की संवाहक -पोषक है ! केवल मथुरा नाम रखना संकीर्ण है 

जोकि कंस के महोत्सव की ही याद दिलाता है !
राधे-राधे
जय श्री कृष्ण
जय ब्रज वसुंधरा




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श्रीराधे चहुँ दिसि हा-हा कार !

संकट सत्ता माया नाचे ,

चारों ओर पुकार !!श्रीराधे ०!!

छंद काव्य से छूट चले हैं ,

रस फीके बेकार !!श्रीराधे ० !!

आर्त-दीन से दुनिया रूठी ,

लठ्ठ चले मक्कार !!श्रीराधे ० !!

भयो दिखावो फैशन जग को ,

बिके हाट-बाज़ार !!श्रीराधे ० !!

पर उपदेश कुशल बहुतेरे ,

सूझ नहीं आचार !!श्रीराधे ० !!

नीति-नियम संयम सब भूले ,

स्वार्थ बस लाचार !!श्रीराधे ० !!

सदाचार के कोई न ग्राहक  ,

करे न उच्च विचार !!श्रीराधे ० !!

तृष्णा-क्षुधा रोग सब उलझे ,

सूझे न उपचार !!श्री राधे ० !!

तज के लाज-शर्म बन वैठे,

ज्ञान गढ़ें धिक्कार !!श्रीराधे ० !!

'स्वीटी राधिका' शरण तिहारी,

सुन लीजै ब्रषभानु दुलारी ! 

करहु कृपा मेरी स्वामिनी प्यारी ,

मिट जाएँ अत्याचार !!श्रीराधे ० !!

कीरति कुंवरि लाडिली राधे ,

तेरी जय-जय कार !!श्रीराधे ० !!

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ये शत्रु मानवता के हैं ! ये शत्रु भारत देश के हैं ! ये शत्रु धर्मं-संस्कृति के हैं !

जग में केवल माया दरशे !
अन्य नहीं कछु रीति नीति है !
उपदेशें वनें सिद्ध-सुजान !
अपनी-अपनी कूट नीति है !! 
स्वार्थ बोले माया डोले !
रचे कुचाल पाप के फंदे !
पर उपकार कठिन भयो दुष्कर !
कायरता के मलिन पुलंदे !!
योग-ध्यान सब ढोंग में दर्शें !
सत्य छिपे अब झूंठ के धुन्धे !!
झूंठे राग गाय करें भक्ति !
भ्रम ही करें कहें भक्त हैं वन्दे !! 
उपदेशें जन में मायावी !
करें रात दिन छल के धंधे !!
बगुला भगत सी रीति इनकी !
कर्म महा हिंसक अरु गंदे !!
कोई कहे देश कोई कहे धर्मं !
चतुर महा ये शिकार के छंदे !!
वाक जाल में लूट लें सब को !
निज स्वार्थ वस कुटिल परिंदे !!
भगवानहु  को बेच दें पापी !
रेतें गले चलाय कें रंदे !! 
जो मूरख मिल जाय इन्हें जब !
चेला करि पहिनावें फंदे !! 
कंठी-माला अरु गुरु निष्ठां !
व्यर्थ है सब ये भ्रम के पण्डे !!
 कहें गोविन्द करें तृप्त इन्द्री !
मठ इनके भये पाप के अड्डे !!
विलासिता भोगें संयमी कहावें !
ये सब निश्चर जाति के वन्दे !!
"स्वीट राधिका" कहे जन-मानष से !
धुनों इनको अब लेके डंडे !!
ये शत्रु मानवता के हैं ! ये शत्रु भारत देश के हैं ! ये शत्रु धर्मं-संस्कृति के हैं ! इनका सामाजिक बहिष्कार स्वस्थ्य समाज के लिए अनिवार्य है !
आओ संकल्प लें ऐसे धार्मिक-आध्यात्मिक-राजनैतिक लुटेरों को इनकी विलासिता-सत्ता से उतार फेंकें - सनातन धर्मं -सनातन संस्कृति -श्रीमदभगवद गीता के द्वारा "महाभारत" रूपी धर्मं युद्ध का परम आदर्श-अनिवार्य भगवद सन्देश प्रदान कर रही है !यदि आपकी इस महाभारत में योद्धा बन संकल्पित होने की इच्छा  है तो प्रस्तुत नोट को अपने सभी मित्रों को पोस्ट करें एवं ब्लॉग "राधे-राधे " से निम्नांकित एड्रस लिंक पर क्लिक कर फोलो करें
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...राधे-राधे..हरेकृष्ण !!
क्या आपको ये देश आज स्वतंत्र-आत्मतुष्ट दिखता है ? क्यों गुंडे-बदमाश उच्च पदों पर स्थापित हैं ? क्यों एक ही परिवार के चारों ओर  देश की राजनीति घूम जाति है ? क्यों पुलिस बिट्रिश काल की तरह जनता की सेवक न हो कर भक्षक है ?क्यों भारतीय धन स्विटजर-लेंड की बैंकों में है ? क्यों आज जनता बेरोजगार एवं गरीब है ? क्यों आरक्षण रूपी बिष वेळ देश में व्याप्त है ? क्यों जम्मू & कश्मीर के लिए अलग से संबिधान है ? क्यों भारत में समान कानून-न्याय व्यवस्था नहीं है , जबकि छद्म धर्म निरपेक्ष वादी भारत को धर्मं निरपेक्ष कहते हैं , क्यों मुस्लिम विधान के नाम से अलग से क़ानूनी आख्या है ? जब अमरनाथ-कैलाश मान सरोवर जाने के लिए कोई व्यवस्था-अनुदान नहीं तो क्यों काबा जाने के लिए राजकीय सहायता ?क्या हिन्दू होना संकीर्ण-हिंसक या पाप है ,जो इस देश में हिन्दू-हिंदुत्व कहने पर उसे राजनैतिक अश्प्रस्य करार दिया जाता है ? नरेन्द्र मोदी राष्ट्र-भक्त या भारत सम्मान क्यों नहीं है जो उसे भारत में व विदेशों के द्वारा भी अपमानित कराया जाता है , जबकि मोदी आज एक मात्र राजनैतिक व्यक्तित्व है   जिसका मेरे द्वारा उल्लेख उसके राष्ट्र निष्ठां कार्यों-सेवा से हो ही जाता है  ? क्यों कर देश में साधू-संतों के नाम पर बहिरुपिये नाना भांति के स्वांग रच कर जन-मानष को लूट/खा रहे है ? मित्रो इसका एक ही कारण है परतंत्रता ! अभी हममें परतंत्रता वाकी है , आवश्यकता है जन-चेतना की ,एक और धर्मं युद्ध की -एक और "महाभारत" की !
!!स्वीट राधिका राधे-राधे!!
 मित्रो, यदि ये सब पढ़कर आपका लहू राष्ट्र एवं धर्मं सेवा के लिए उबलता हो , आपकी मति राष्ट्र एवं धर्मं सेवा की दिशा में सोचती है-कुछ सेवा की उत्सुक है तो सर्व प्रथम इस नोट को अपने सभी मित्रों-परिचितों को पोस्ट करें तथा राष्ट्र एवं धर्मं सेवा ब्लॉग "राधे-राधे" से जुड़ें व फोलो करें, ब्लॉग ऐड्रस निम्नांकित   लिंक पर क्लिक करें !

राधे-राधे..हरेकृष्ण 
jay mahakal jay vishwanath !
jay baidhya nath jay som nath !!
jay mamleshwar jay rameshwar !
jay ghrishneshwar kedar nath !!
jay nageshwar jay trayambakeshwar !
jay gopeshwar pashupati nath !!
jay bhuteshwar jay asheshwar !
jay rangeshwar jay adi nath !!
jay mahabaleshwar jay mahadev !
jay panch madeshwar jay gauri nath !!
jay vishwambhar jay digamvar !
jay jagat pita aru jagat mat !!
audhar dani jay ashutosh !
karunavatar jay bhut nath !!
jay-jay shambhu-jay-jay shiva ji !
jay-jay shankar jay uma nath !!
jay gauri pati kailash vasi !
jay amar nath jay bhakt nath
shri radhey -radhey 
har-har mahadev

Tuesday, January 18, 2011

श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं

* जय श्री राधे *
जय-जय श्री राधे-श्याम

जो नन्द के लाला भगवान श्री कृष्ण को अपना मानते-समझते हैं -
श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं
श्री वृन्दावन चन्द जिनके नयनों के केन्द्र हैं

 "स्वीटी राधिका राधे-राधे"
-श्री वृन्दावन धाम-
जय-जय श्री राधे-श्याम

मित्रो,
यह पोस्ट आप उन सब के लिए है जो नन्द के लाला भगवान श्री कृष्ण को अपना मानते-समझते हैं - श्रीजी पद पंकज जिनके ह्रदय-चित्त में बसे हैं -श्री वृन्दावन चन्द जिनके नयनों के केन्द्र हैं -
यदि आपका ह्रदय श्याम सुन्दर के लिए धड़कता है - आपका मन मुरली मनोहर की मृदुल चितचोर मन भावन मुस्कान के लिए मचलता है - आपका कंठ और आपकी रसना नित-प्रति श्रीराधे - श्रीराधे टेर में रत हैं - आपके श्रवण हरि कथा सुनने को व्यग्र हैं - आपके नयन श्री राधावल्लभ-कुञ्ज बिहारी लाल के दर्शन को आतुर हैं - आप को श्रीजी कृपा संग लाभ की लालसा है - श्री वृन्दावन वास आपकी परम आकांक्षा है - बृजवासी-भक्त संग हेतु जिनकी मति-बुद्धि अधीर है - 
आप श्री कृष्ण भक्ति प्रचारार्थ रास-बिहारी-मन मोहन यसुमती नंदन माखन चोर कुञ्ज बिहारी भगवान श्री राधा रमण श्री राधिका वल्लभ कृष्ण कन्हैया नीलमणि के प्रति अपने भाव-उद्गार-अनुभव-प्रसंग यहाँ लिख कर श्री गिरधर गोपाल श्री बाँके बिहारी जी की कृपा - स्नेह प्राप्त करें , निश्चय ही हमारी स्वामिनी श्री राधे आपके इस महान सुकृत्य पर प्रसन्न हो "श्री श्याम रस" आशीष में प्रदत्त करेंगी !  मुरली मनोहर सांवरिया जी सहज भाव में आपके ह्रदय में श्री वृन्दावन रस धारा का स्फुरण कराएँगे ! मित्रो श्याम सुन्दर के कीर्तन कलि काल में सर्व श्रेष्ठ भगवद आराधना है और आप भली भाँति समझते हैं कि कलि के आधुनिक संपर्क-यन्त्र-संसाधन इंटरनेट पर हम सब यह 
श्री राधे-श्याम संकीर्तन ही तो कर रहे हैं -
अतः मित्रो अबिलम्ब मेरे आमंत्रण को स्वीकार कर इस श्याम धुन-
श्रीराधा नाम संकीर्तन मंडल में सम्मिलित होकर प्रेम से श्रीराधे-राधे गायें---
जय-जय श्री राधे-श्याम

जय-जय श्री राधे-श्याम 

Sunday, January 2, 2011

Radhey -Radhey: श्री हनुमान चालीसा


श्री हनुमान चालीसा


!!जय सियाराम!!

अब प्रभु कृपा करहु एहि भांति ! सब तजि भजनु करहुँ दिन राति !!

!! श्री राम जय राम जय-जय राम !!


!!जय सियाराम!!

श्री हनुमान चालीसा 
shri Hanuman Chalisa
( दोहा )
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि !
बरनौं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि !!
English translation --Having polished the mirror of my heart with the dust of my Guru's lotus feet. I sing the pure fame of the best of Raghus, which bestows the four fruits of life.
बुद्धि हीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार !
बल-बुद्धि-विद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार !!
English translation --I know that this body of mine has no intelligence, so I recall you, Son of the Wind. Grant me strength, wit and wisdom and remove my sorrows and shortcomings
( चौपाई )
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर !
जय कपीश तिहुँ लोक उजागर !!
English translation --Hail to Hanuman, the ocean of wisdom and virtue, Hail Monkey Lord, illuminater of the three worlds.
रामदूत अतुलित बल धामा !
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा !!
English translation --You are Ram's emissary, and the abode of matchless power Anjani's son, named the "Son of the Wind."
महाबीर बिक्रम बजरंगी !
कुमति निवार सुमति के संगी !!
English translation --Great hero, you are as mighty as a thunderbolt, You remove evil thoughts and are the companion of the good.
कंचन बरन बिराज सुबेसा !
कानन कुंडल कुंचित केसा !!
English translation --Golden hued and splendidly adorned With heavy earrings and curly locks.
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै !
काँधे मूंज जनेऊ साजै !!
English translation --In your hands shine mace and a banner And a sacred thread adorns your shoulder.
शंकर सुवन केसरी नंदन !
तेज प्रताप महा जग बंदन !!
English translation --You are Shiva's son and Kesari's joy And your glory is revered throughout the world.
बिद्यावान गुनी अति चातुर !
राम काज करिबे को आतुर !!
English translation --You are the wisest of the wise, virtuous and clever And ever intent on doing Ram's work.
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया !
राम लखन सीता मन बसिया !!
English translation --You delight in hearing of the Lord's deeds, Ram, Sita and Lakshman dwell in your heart.
सूक्ष्मरूप धरि सियहिं दिखावा !
बिकट रूप धरि लंक जरावा !!
English translation --Assuming a tiny form you appeared to Sita And in an awesome form you burned Lanka.
भीम रूप धरि असुर संघारे !
रामचंद्रजी के काज सँवारे !!
English translation --Taking a dreadful form you slaughtered the demons And completed Lord Ram's mission.
लाय सजीवन लखन जियाये !
श्री रघुबीर हरषि उर लाये !!
English translation --Bringing the magic herb you revived Lakshman And Ram embraced you with delight.
 रघुपति कीन्ही बहुत बडाई ! 
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई !!
English translation --The Lord of the Raghus praised you greatly-"Brother, you are dear to me as Bharat!"
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं !
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं !!
English translation --May the thousand-mouthed serpent sing your fame!"So saying, Laksmi's Lord drew you to Himself.
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा !
नारद सारद सहित अहीसा !!
English translation --Sanak and the sages, Brahma, gods and the great saints,
Narada, Saraswati and the King of serpents,

यम कुबेर दिगपाल जहाँते !
कबि कोबिद कहि सके कहाँते !!
English translation --Yama, Kubera and the guardians of the four quarters poets and scholars-none can express your glory.
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा !
राम मिलाय राज पद दीन्हा !!
English translation --You did great service for Sugriva,Presenting him to Ram, you gave him the kingship.
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना !
लंकेश्वर भये सब जग जाना !!
English translation --Vibhishana heeded your counsel.And became the Lord of Lanka, as the whole world knows.
युग सहस्र योजन पर भानू !
लील्यो ताहि मधुर फल जानू !!
English translation --Though the sun is thousands of miles away,You swallowed it, thinking it to be a sweet fruit.
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं !
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं !!
English translation --Holding the Lord's ring in your mouth It's no surprise that you leapt over the ocean.
दुर्गम काज जगत के जेते !
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते !!
English translation --Every difficult task in this world Becomes easy by your grace.
राम दुआरे तुम रखवारे !
होत न आज्ञा बिनु पैसारे !!
English translation --You are the guardian at Ram's door,No one enters without your leave.
सब सुख लहै तुम्हारी सरना  !
तुम रक्षक काहू को डरना !!
English translation --Those who take refuge in you find all happiness and those who you protect know no fear
आपन तेज सम्हारो आपे !
तीनों लोक हाँक तें काँपे !!
English translation --You alone can withstand your own splendor,The three worlds tremble at your roar.
भूत पिसाच निकट नहीं आवै !
महाबीर जब नाम सुनावै !!
English translation --Ghosts and goblins cannot come near Great Hero, when your name, is uttered.
नासै रोग हरे सब पीरा !
जपत निरंतर हनुमत बीरा !!
English translation --All disease and pain is eradicated, Brave Hanuman,
by constant repetition of your name.

संकट तें हनुमान छुडावै !
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै !!
English translation --Hanuman releases from affliction those who remember him in thought, word and deed.
सब पर राम तपस्वी राजा !
तिन के काज सकल तुम साजा !!
English translation --Ram, the ascetic, reigns over all but you carry out all his work.
और मनोरथ जो कोइ लावै !
सोई अमित जीवन फल पावै !!
English translation --One who comes to you with any yearning obtains the abundance of the Four Fruits of Life.
चारों जुग परताप तुम्हारा !
है परसिद्ध जगत उजियारा !!
English translation --Your splendor fills the four अगेस,your glory is reknowned throughout the world.
साधु संत के तुम रखवारे !
असुर निकंदन राम दुलारे  !!
English translation --You are the guardian of saints and sages,the destroyer of demons and the darling of Ram.
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता !
अस बर दीन जानकी माता !!
English translation --You grant the eight powers and the nine treasures
by the boon you received from Mother Janaki.

राम रसायन तुम्हरे पासा !
सदा रहो रघुपति के दासा !!
English translation --You hold the elixir of Ram's name and remain eternally his servant.
तुम्हरे भजन राम को पावै !
जनम-जनम के दुख बिसरावै !!
 English translation -- Singing your praise, one finds Ram and escapes the sorrows of countless lives.
अन्त काल रघुबर पुर जाई !
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई !!
English translation --At death one goes to Ram's own dity or is born on the earth as God's devotee.
और देवता चित्त न धरई !
हनुमत से ई सर्व सुख करई !!
English translation --Give no thought to any other deity,worshipping Hanuman, one gains all delight.
संकट कटे मिटे सब पीरा !
जो सुमिरे हनुमत बल बीरा !!
English translation --All affliction ceases and all pain is removed by remembering the mighty hero, Hanuman.
जय-जय-जय हनुमान गोसाईं !
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं !!
English translation --Victory, Victory, Victory to Lord Hanuman! Bestow your grace on me, as my Guru!
जो सत बार पाठ कर कोई !
छूटहि बंधि महा सुख होई !!
English translation --Whoever recites this a hundred times is released from bondage and gains great bliss.
जो यह पढे हनुमान चालीसा !
होय सिद्ध साखी गौरीसा !!
English translation --One who reads this Hanuman Chaleesa gains success, as Gauri's Lord(Shiva) is witness.
तुलसी दास सदा हरि चेरा !
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा !!
English translation --Says Tulsi Das, who always remains Hari's servant,
"Lord, make your home in my heart."

( दोहा ) 
पवनतनय संकट हरन- मंगल मूरति रूप !
राम लखन सीता सहित -हृदय बसहु सुर भूप !!
English translation --Son of the Wind, destroyer ofsorrow, embodiment of blessings,Live in my heart, King of Gods,together with Ram, Lakshman 
and Sita. 




हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे!
हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे!!


जय-जय सियाराम