kijai kripa ki kor swamini shri radhey

kijai kripa ki kor swamini shri radhey
sweetie radhika

sweetie radhika radhey--radhey

Friday, December 31, 2010

CHANTING KRISHNA WHOLE THE YEAR

chant regularly with love and faith
harekrishna -harekrishna krishna-krishna hare-hare ! 
harerama-harerama rama-rama hare-hare !!
FRIENDS you are invited at this post for writing "harekrishna-mahamantram" it will depend on your faith that how many chantings  you would like to write and for how long your routine can survive  
मित्रो नव-बर्ष २०११ की पूर्व संध्या पर आप सभी के लिए एक हरि नाम स्मरण-जप पोस्ट का निर्माण कर श्रीजी की सेवा में प्रस्तुत करने का विचार है आशा है की आप भी अपनी ओर से यथा संभव सहयोग प्रदत्त कर श्रीजी की सेवा में हरिनाम पुष्पों की बरषा करेंगे यह आपके श्रद्धा एवं विश्वास पर निर्भर है की कितने हरिनाम महामंत्र पुष्प श्रीजी की सेवा में पोस्ट करते हैं तथा बर्ष में कितने दिनों आपका क्रम सतत रूप से बना रहता है
प्रेम के साथ जपें-लिखते रहें 
हरेकृष्ण-हरेकृष्ण कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे ! हरेराम-हरेराम राम-राम हरे-हरे !!
स्वीटी राधिका -राधे-राधे
happy new year 2011-radhe-radhe
नव बर्ष २०११  मंगलमय एवं श्री कृष्ण चरणारविन्द प्रीति कारक हो
राधे-राधे 

धर्म न दूसर सत्य समाना
हरेकृष्ण !
मित्रो , संसार में केवल एक मात्र सत्य धर्म ही सबसे श्रेष्ठ है !
सत्य -सनातन है , सनातन का अर्थ किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा निर्मित नहीं ,सनातन का विस्तृत अर्थ है -जो पहले अर्थात स्रष्टि से पूर्व था ,स्रष्टि के समय अर्थात आज भी है ,एवं स्रष्टि के बाद यानि हमेशा रहेगा !
हो सकता है कुछ समय मानव निर्मित छद्म धर्म संसार में कुछ समय के लिए व्याप्त दिखें ,परन्तु जिस प्रकार वादल सूर्य को कुछ समय ढक लें परन्तु सत्य रूपी सूर्य पुनः इन वादलों को फाड़ कर प्रकट हो जाता है ! इसी प्रकार सत्य-सनातन धर्म अन्य सभी मायावी -झुंठे -कल्पित  धर्म के नाम पर अधर्मों को अपने तेज से पुनः नष्ट कर समस्त चरा-चर की रक्षा हेतु संसार में व्याप्त हो जाता है !
मित्रो सौभाग्य से हमारा जन्म इस सत्य-सनातन धारा में हुआ है ! 
अथवा भगवान के-श्री गुरु के आशीर्वाद से हम सनातन धर्म धारा से जुड़े हैं ! 
तो हमारा नैष्ठिक कर्तव्य है कि हम अखिल जगत में सनातन धर्म -धारा के अविरल प्रवाह के लिए संकल्प बद्ध हों !
इसी सत्य-सनातन प्रवाह में अद्वैत,द्वैत,शुद्धा-द्वैत ,द्वैता-द्वैत, अचिन्त्य भेदा-भेद ,विशुद्धा-द्वैत  नामक अनेकों सत्य-संकल्पित धाराएँ वहीं ! जिनका एकमात्र प्रयोजन सत्य से साकार होना है !
उपरोक्त धाराओं में अंतिम चार धारा वैष्णव रीती कहलातीं हैं  !
जिनमें भगवद रूपी सत्य प्राप्ति  के लिए उपासना रीती भगवद कृपा-प्रेम भरा पड़ा है !
यहाँ साधक का संपूर्ण योग-क्षेम भगवद शरणागति के द्वारा  , श्री भगवान के कर-कमलों में होता है ! यहाँ श्रीभगवान अपनी कृपा महिमा के द्वारा शरणागत-भक्त को परम दुर्लभ 'अभय' पद प्रदान करते हैं !
अर्थात भक्त को किसी भी प्रकार कि चिंता-क्लेश-दुःख-पीड़ा-ताप-अवसाद-भ्रम नहीं रहता एवं इसी जीवन में भगवद प्राप्ति हो जाती है !
मित्रो,
यह सर्व-श्रेष्ठ साधन भगवद कृपा-शरणागति पूर्णरूप से निर्मल-चित्त होने पर प्राप्त होती है ! 
यथा "निर्मल मन जन सो मोहि पावा ! मोहि कपट छल छिद्र न भावा !!"
और यह निर्मल चित्त-ह्रदय भगवान के श्री नामों के जप-संकीर्तन से प्राप्त होता है !
तो आइये अभी से इस परम मनोहर भगवद नाम जप-संकीर्तन को अपना आधार वना प्रेम से गायें-
हरेकृष्ण-हरेकृष्ण कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे !
हरेराम-हरेराम राम-राम हरे-हरे !!
जय-जय श्री राधे !!

Tuesday, December 21, 2010

प्रेम से बोलें - राधे-राधे



  प्रेम से बोलें
राधे-राधे
हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे!
हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे       !!

                                                          
!!मधुराष्टकं!!


अधरं मधुरं वदनं मधुरं - नयनं मधुरं हसितं मधुरम्!
हदयं मधुरं गमनं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं - वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुर:- पाणिर्मधुर: पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं - भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रुपं मधुरं तिलकं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं - हरणं मधुरं रमणं मधुरम्। 
वमितं मधुरं शमितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गुन्जा मधुरा माला मधुरा - यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गोपी मधुरा लीला मधुरा - युक्तं मधुरं भुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गोपा मधुरा गावो मधुरा - यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

॥ इति श्रीमद्वल्लभाचार्यकृतं मधुराष्टकं सम्पूर्णम् ॥




मित्रो ऐसे मधुरबिहारी लाल के लिए क्यों न यहाँ पर कुछ लिखकर अपने प्रेमहार मधुरं-मधुरं के चरणों में निवेदित करें  
राधे-राधे    
वैष्णवाचार्य वंदन करूँ सुमिर भक्ति-भगवंत ! श्री शंकर की व्यंजना पूर्ण बतायो पंथ !!
भज गोविन्दम पथ सुझा श्री शंकर दियो बताय ! श्री रामानुज प्रगट कें भक्ति मार्ग दर्शाय !!
आगें बढ़ प्रगट कियो युगल रूप श्री धाम ! चक्र सुदर्शन अवतरे श्री निम्बार्क कह्यो निज नाम !! 
भक्ति-भक्त-भगवंत गुरु पुष्टि पंथ के गीत ! श्री बल्लभ ने आयके श्री नाथ दियो संगीत !!
कीर्तन कर गोविन्द को श्री गौर प्रीत की रीत ! वैष्णव जन समझा दिए श्रीश्याम हमारे मीत !!  
वृन्दावन रस व्यंजना हित धरयो मुरली अवतार ! लक्षण केलि कुञ्ज के सखि ललिता श्री हरिदास !!
रामानंद बरषा करी प्रगटे तुलसीदास ! मीरा प्रियतम टेर में गिरधर कियो निवास !!
सूरदास गाये सदा नन्दलाल के गीत ! अष्टछाप मिल कें रच्यो श्री विठठल प्रिय संगीत !!
तुकाराम अरु नामदेव की प्रीत हेतु घनश्याम ! वृन्दावन प्रगट कियो श्री पंढरपुर धाम !!
ऊधौ से ज्ञानी भगत वृन्दाविपिन की कुञ्ज ! गावैं ब्रजरज सुधा के नित नए निराले रंग !! 
"स्वीटी" संतन्ह संग ते कछु समझ सकी है जोय ! श्रीजी सेवा समझ के लिखे जो भी बने संयोग !!
"स्वीट-राधिका" की सदा यही लगी मनुहार ! "राधे-राधे" गीत से भर जाएँ सभी के द्वार !! 
न कछु हेर न फेर है श्री प्रिया शरण की आश ! मनमोहन की माधुरी "स्वीटी" हिय की प्यास !!
श्रीजी चरण "स्वीटी" मन बसे पियलाल सेवें जेय ! रसिकन सुधा निर्झरित जहँ मुदित मन ह्वै गेय !!
श्रीराधे-राधे-श्याम जय-जय श्री वृन्दावन धाम !!
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!! 
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
स्वीट राधिका-राधे-राधे  
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
स्वीट राधिका-राधे-राधे

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 



*गोविन्द दामोदर स्तोत्रं -राधे-राधे श्याम सुन्दर* 


करारविन्देन पदार्विन्दं, मुखार्विन्दे विनिवेशयन्तम्।
वटस्य पत्रस्य पुटेशयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेव।
जिव्हे पिबस्वा मृतमेव देव, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

विक्रेतुकामाखिल गोपकन्या, मुरारि  पादार्पित चित्तवृतिः।
दध्यादिकं मोहावशादवोचद्, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

गृहे-गृहे गोपवधू कदम्बा:, सर्वे मिलित्वा समवाप्ययोगम्।
पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सुखं शयाना निलये निजेऽपि, नामानि विष्णोः प्रवदन्तिमर्त्याः।
ते निश्चितं तन्मयतमां व्रजन्ति, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

जिह्‍वे दैवं भज सुन्दराणि, नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।
समस्त भक्तार्ति विनाशनानि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सुखावसाने इदमेव सारं, दुःखावसाने इदमेव ज्ञेयम्।
देहावसाने इदमेव जाप्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

जिह्‍वे रसज्ञे मधुरप्रिया त्वं, सत्यं हितं त्वां परमं वदामि।
आवर्णये त्वं मधुराक्षराणि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

त्वामेव याचे मन देहि जिह्‍वे, समागते दण्डधरे कृतान्ते।
वक्तव्यमेवं मधुरम सुभक्तया, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश, गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णो।
जिह्‍वे पिबस्वा मृतमेवदेवं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

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*स्वीट राधिका राधे-राधे - स्वीट राधिका राधे-राधे*
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Sunday, December 19, 2010

chant - "harekrishna -mahamantram"

"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे-हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे"
राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे

harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare ! 
harerama harerama rama rama hare hare !!

harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare ! 
harerama harerama rama rama hare hare !!
harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare ! 
harerama harerama rama rama hare hare !!
harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare ! 
harerama harerama rama rama hare hare !!
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 



तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे  

धर्म न दूसर सत्य समाना
हरेकृष्ण !
मित्रो , संसार में केवल एक मात्र सत्य धर्म ही सबसे श्रेष्ठ है !
सत्य -सनातन है , सनातन का अर्थ किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा निर्मित नहीं ,सनातन का विस्तृत अर्थ है -जो पहले अर्थात स्रष्टि से पूर्व था ,स्रष्टि के समय अर्थात आज भी है ,एवं स्रष्टि के बाद यानि हमेशा रहेगा !
हो सकता है कुछ समय मानव निर्मित छद्म धर्म संसार में कुछ समय के लिए व्याप्त दिखें ,परन्तु जिस प्रकार वादल सूर्य को कुछ समय ढक लें परन्तु सत्य रूपी सूर्य पुनः इन वादलों को फाड़ कर प्रकट हो जाता है ! इसी प्रकार सत्य-सनातन धर्म अन्य सभी मायावी -झुंठे -कल्पित  धर्म के नाम पर अधर्मों को अपने तेज से पुनः नष्ट कर समस्त चरा-चर की रक्षा हेतु संसार में व्याप्त हो जाता है !
मित्रो सौभाग्य से हमारा जन्म इस सत्य-सनातन धारा में हुआ है ! 
अथवा भगवान के-श्री गुरु के आशीर्वाद से हम सनातन धर्म धारा से जुड़े हैं ! 
तो हमारा नैष्ठिक कर्तव्य है कि हम अखिल जगत में सनातन धर्म -धारा के अविरल प्रवाह के लिए संकल्प बद्ध हों !
इसी सत्य-सनातन प्रवाह में अद्वैत,द्वैत,शुद्धा-द्वैत ,द्वैता-द्वैत, अचिन्त्य भेदा-भेद ,विशुद्धा-द्वैत  नामक अनेकों सत्य-संकल्पित धाराएँ वहीं ! जिनका एकमात्र प्रयोजन सत्य से साकार होना है !
उपरोक्त धाराओं में अंतिम चार धारा वैष्णव रीती कहलातीं हैं  !
जिनमें भगवद रूपी सत्य प्राप्ति  के लिए उपासना रीती भगवद कृपा-प्रेम भरा पड़ा है !
यहाँ साधक का संपूर्ण योग-क्षेम भगवद शरणागति के द्वारा  , श्री भगवान के कर-कमलों में होता है ! यहाँ श्रीभगवान अपनी कृपा महिमा के द्वारा शरणागत-भक्त को परम दुर्लभ 'अभय' पद प्रदान करते हैं !
अर्थात भक्त को किसी भी प्रकार कि चिंता-क्लेश-दुःख-पीड़ा-ताप-अवसाद-भ्रम नहीं रहता एवं इसी जीवन में भगवद प्राप्ति हो जाती है !
मित्रो,
यह सर्व-श्रेष्ठ साधन भगवद कृपा-शरणागति पूर्णरूप से निर्मल-चित्त होने पर प्राप्त होती है ! 
यथा "निर्मल मन जन सो मोहि पावा ! मोहि कपट छल छिद्र न भावा !!"
और यह निर्मल चित्त-ह्रदय भगवान के श्री नामों के जप-संकीर्तन से प्राप्त होता है ! तो आइये अभी से इस परम मनोहर भगवद नाम जप-संकीर्तन को अपना आधार वना !
प्रेम से गायें-
हरेकृष्ण-हरेकृष्ण कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे !
हरेराम-हरेराम राम-राम हरे-हरे !!
जय-जय श्री राधे !!