kijai kripa ki kor swamini shri radhey

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sweetie radhika

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Sunday, December 19, 2010

chant - "harekrishna -mahamantram"

"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे-हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे"
राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे-राधे

harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare ! 
harerama harerama rama rama hare hare !!

harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare ! 
harerama harerama rama rama hare hare !!
harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare ! 
harerama harerama rama rama hare hare !!
harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare ! 
harerama harerama rama rama hare hare !!
तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 



तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे 

तप्त कांचन गौरांगी श्री राधा वृन्दावनेश्वरी
ब्रषभानु सुते देवि प्रनमामि हरिं प्रिये!!
स्वीट राधिका-राधे-राधे  

धर्म न दूसर सत्य समाना
हरेकृष्ण !
मित्रो , संसार में केवल एक मात्र सत्य धर्म ही सबसे श्रेष्ठ है !
सत्य -सनातन है , सनातन का अर्थ किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा निर्मित नहीं ,सनातन का विस्तृत अर्थ है -जो पहले अर्थात स्रष्टि से पूर्व था ,स्रष्टि के समय अर्थात आज भी है ,एवं स्रष्टि के बाद यानि हमेशा रहेगा !
हो सकता है कुछ समय मानव निर्मित छद्म धर्म संसार में कुछ समय के लिए व्याप्त दिखें ,परन्तु जिस प्रकार वादल सूर्य को कुछ समय ढक लें परन्तु सत्य रूपी सूर्य पुनः इन वादलों को फाड़ कर प्रकट हो जाता है ! इसी प्रकार सत्य-सनातन धर्म अन्य सभी मायावी -झुंठे -कल्पित  धर्म के नाम पर अधर्मों को अपने तेज से पुनः नष्ट कर समस्त चरा-चर की रक्षा हेतु संसार में व्याप्त हो जाता है !
मित्रो सौभाग्य से हमारा जन्म इस सत्य-सनातन धारा में हुआ है ! 
अथवा भगवान के-श्री गुरु के आशीर्वाद से हम सनातन धर्म धारा से जुड़े हैं ! 
तो हमारा नैष्ठिक कर्तव्य है कि हम अखिल जगत में सनातन धर्म -धारा के अविरल प्रवाह के लिए संकल्प बद्ध हों !
इसी सत्य-सनातन प्रवाह में अद्वैत,द्वैत,शुद्धा-द्वैत ,द्वैता-द्वैत, अचिन्त्य भेदा-भेद ,विशुद्धा-द्वैत  नामक अनेकों सत्य-संकल्पित धाराएँ वहीं ! जिनका एकमात्र प्रयोजन सत्य से साकार होना है !
उपरोक्त धाराओं में अंतिम चार धारा वैष्णव रीती कहलातीं हैं  !
जिनमें भगवद रूपी सत्य प्राप्ति  के लिए उपासना रीती भगवद कृपा-प्रेम भरा पड़ा है !
यहाँ साधक का संपूर्ण योग-क्षेम भगवद शरणागति के द्वारा  , श्री भगवान के कर-कमलों में होता है ! यहाँ श्रीभगवान अपनी कृपा महिमा के द्वारा शरणागत-भक्त को परम दुर्लभ 'अभय' पद प्रदान करते हैं !
अर्थात भक्त को किसी भी प्रकार कि चिंता-क्लेश-दुःख-पीड़ा-ताप-अवसाद-भ्रम नहीं रहता एवं इसी जीवन में भगवद प्राप्ति हो जाती है !
मित्रो,
यह सर्व-श्रेष्ठ साधन भगवद कृपा-शरणागति पूर्णरूप से निर्मल-चित्त होने पर प्राप्त होती है ! 
यथा "निर्मल मन जन सो मोहि पावा ! मोहि कपट छल छिद्र न भावा !!"
और यह निर्मल चित्त-ह्रदय भगवान के श्री नामों के जप-संकीर्तन से प्राप्त होता है ! तो आइये अभी से इस परम मनोहर भगवद नाम जप-संकीर्तन को अपना आधार वना !
प्रेम से गायें-
हरेकृष्ण-हरेकृष्ण कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे !
हरेराम-हरेराम राम-राम हरे-हरे !!
जय-जय श्री राधे !!

8 comments:

  1. harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare !
    harerama harerama rama rama hare hare !!
    harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare !
    harerama harerama rama rama hare hare !!
    harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare !
    harerama harerama rama rama hare hare !!

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  2. harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare !
    harerama harerama rama rama hare hare !!
    harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare !
    harerama harerama rama rama hare hare !!
    harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare !
    harerama harerama rama rama hare hare !!
    ...और प्रेम से बोलें
    राधे-राधे
    हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

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  3. प्रेम से बोलें
    राधे-राधे
    हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
    harekrishna harekrishna krishna krishna hare hare !
    harerama harerama rama rama hare hare !!

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  4. प्रेम से बोलें
    राधे-राधे
    हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

    !!मधुराष्टकं!!

    अधुरं मधुरं वदनं मधुरं - नयनं मधुरं हसितं मधुरम्!
    हदयं मधुरं गमनं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    वचनं मधुरं चरितं मधुरं - वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
    चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुर:- पाणिर्मधुर: पादौ मधुरौ।
    नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    गीतं मधुरं पीतं मधुरं - भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
    रुपं मधुरं तिलकं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    करणं मधुरं तरणं मधुरं - हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
    वमितं मधुरं शमितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    गुन्जा मधुरा माला मधुरा - यमुना मधुरा वीची मधुरा।
    सलिलं मधुरं कमलं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    गोपी मधुरा लीला मधुरा - युक्तं मधुरं भुक्तं मधुरम्।
    दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    गोपा मधुरा गावो मधुरा - यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
    दलितं मधुरं फलितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

    ॥ इति श्रीमद्वल्लभाचार्यकृतं मधुराष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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  5. कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरि:!
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is full of love for Krishna, and Hari (Krishna) is full of love for Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णस्य द्रविणं राधा राधाया: द्रविणं हरि !
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    The essence of Krishna is Radha, and the essence of Radha is Krishna. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णप्राणमयी राधा राधा प्राणमयो हरि !
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is the life of Krishna, and Krishna is the life of Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णद्रवामयी राधा राधा द्रवोमयो हरि: !
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is the sport of Krishna, and Krishna is the sport of Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णगेहे स्थिता राधा राधागेहे स्थितो हरि :!
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is situated in the home of Krishna and krishna is situated in the home of radha . in the wealth like life may radha and kishna be the course of my soul
    jay-jay shri radhe-shyam

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  6. हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्णकृष्ण हरेहरे-हरेराम हरेराम रामराम हरेहरे
    हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे
    हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे

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  7. हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे!!
    हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे!!

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