आश्चर्य- मथुरा में एक mr. एवं miss . मथुरा ,
के नाम से प्रतियोगिता आयोजन !
जिसके जजों द्वारा चयन करते समय बारम्बार खेद व्यक्त करना ,
कि प्रतियोगिता मथुरा में है ,
परन्तु , सब-अधिकांश प्रतिभागी वेस्टर्न प्रजेंटेसन दे रहे हैं !
उनको मथुरा शैली - मथुरा कल्चर का कोई भान नहीं !
मित्रो, यह बड़ा कडुवा सत्य है कि इस -
मित्रो, यह बड़ा कडुवा सत्य है कि इस -
"तीन लोक ते मथुरा न्यारी संस्कृति" में
जोकि बड़े-बड़े आघातों-संकटों के उपरांत भी
अपने स्वरुप से अविचिलित रही ,
पर आज पश्चिम की भोग प्रधान संस्कृति का आधिपत्य हो गया है !
जहाँ 'सरल-जीवन - उच्च-विचार' केन्द्रित थे
वहां अधिकांश वर्ग में "दिखावटी-जीवन - ओछे-विचार" संकेंद्रित हैं ! जो संस्कृति दुष्ट तुर्क-मुग़ल आक्रान्ताओं के आक्रमण से नहीं डिगी, जिसको बिट्रिश परतंत्रता की जंजीरें नहीं बांधसकीं वो अपने ही जन-मानस के नैतिक-आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पतन से व्यग्र है !जहाँ 'सरल-जीवन - उच्च-विचार' केन्द्रित थे
सबसे पहले मेरा सभी माननीय प्रतियोगिता जजों-(चयन कर्ताओं जिन्हें हम टेलीविजन पर देख रहे हैं) से अनुरोध है ( मेरा मानना है कि सभी जज-चयनकर्ता , ब्रज संस्कृति-धरोहर के संवाहक हैं, उनका ब्रज-वसुंधरा के प्रचार-प्रसार में अमूल्य योगदान रहा है एवं वर्त्तमान में भी वे इसी दिशा में संलग्न हैं और श्रीजी की कृपा से आगे भी ब्रजसेवा करेंगे ) कि इस प्रतियोगिता का नाम mr. एवं miss. mathura न रखकर , जोकि ब्रज-सांस्कृतिक रूप से अनुचित है , ब्रजधाम में सखी एवं ग्वाल-वाल होते हैं ! न कि पश्चिमी मि.,मिस. यदि प्रतियोगिता नाम ही अन्य संस्कृति का होगा तो कैसे प्रतिभागी अन्य संस्कृति को न दर्शायेंगे ! और भाइयो हमारे ब्रज में केवल नन्द-लाल लीलाधारी भगवान श्री कृष्ण ही पूर्ण पुरुष हैं (मि. हैं ) यहाँ किसी और को मि. कहना नितांत अनुचित है ! कितना अच्छा हो यदि प्रतियोगिता नाम ग्वाल-वाल ब्रज मंडल एवं सखी-सहेली ब्रज मंडल हो जोकि सभी प्रकार से व्यापक द्रष्टिकोण लिए है ,एवं ब्रज-भूमि संस्कृति की संवाहक -पोषक है ! केवल मथुरा नाम रखना संकीर्ण है
जोकि कंस के महोत्सव की ही याद दिलाता है !
राधे-राधे
जय श्री कृष्ण
जय ब्रज वसुंधरा
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श्रीराधे चहुँ दिसि हा-हा कार !
संकट सत्ता माया नाचे ,
चारों ओर पुकार !!श्रीराधे ०!!
छंद काव्य से छूट चले हैं ,
रस फीके बेकार !!श्रीराधे ० !!
आर्त-दीन से दुनिया रूठी ,
लठ्ठ चले मक्कार !!श्रीराधे ० !!
भयो दिखावो फैशन जग को ,
बिके हाट-बाज़ार !!श्रीराधे ० !!
पर उपदेश कुशल बहुतेरे ,
सूझ नहीं आचार !!श्रीराधे ० !!
नीति-नियम संयम सब भूले ,
स्वार्थ बस लाचार !!श्रीराधे ० !!
सदाचार के कोई न ग्राहक ,
करे न उच्च विचार !!श्रीराधे ० !!
तृष्णा-क्षुधा रोग सब उलझे ,
सूझे न उपचार !!श्री राधे ० !!
तज के लाज-शर्म बन वैठे,
ज्ञान गढ़ें धिक्कार !!श्रीराधे ० !!
'स्वीटी राधिका' शरण तिहारी,
सुन लीजै ब्रषभानु दुलारी !
करहु कृपा मेरी स्वामिनी प्यारी ,
मिट जाएँ अत्याचार !!श्रीराधे ० !!
कीरति कुंवरि लाडिली राधे ,
तेरी जय-जय कार !!श्रीराधे ० !!
ये शत्रु मानवता के हैं ! ये शत्रु भारत देश के हैं ! ये शत्रु धर्मं-संस्कृति के हैं !
जग में केवल माया दरशे !
अन्य नहीं कछु रीति नीति है !
उपदेशें वनें सिद्ध-सुजान !
अपनी-अपनी कूट नीति है !!
स्वार्थ बोले माया डोले !
रचे कुचाल पाप के फंदे !
पर उपकार कठिन भयो दुष्कर !
कायरता के मलिन पुलंदे !!
योग-ध्यान सब ढोंग में दर्शें !
सत्य छिपे अब झूंठ के धुन्धे !!
झूंठे राग गाय करें भक्ति !
भ्रम ही करें कहें भक्त हैं वन्दे !!
उपदेशें जन में मायावी !
करें रात दिन छल के धंधे !!
बगुला भगत सी रीति इनकी !
कर्म महा हिंसक अरु गंदे !!
कोई कहे देश कोई कहे धर्मं !
चतुर महा ये शिकार के छंदे !!
वाक जाल में लूट लें सब को !
निज स्वार्थ वस कुटिल परिंदे !!
भगवानहु को बेच दें पापी !
रेतें गले चलाय कें रंदे !!
जो मूरख मिल जाय इन्हें जब !
चेला करि पहिनावें फंदे !!
कंठी-माला अरु गुरु निष्ठां !
व्यर्थ है सब ये भ्रम के पण्डे !!
कहें गोविन्द करें तृप्त इन्द्री !
मठ इनके भये पाप के अड्डे !!
विलासिता भोगें संयमी कहावें !
ये सब निश्चर जाति के वन्दे !!
"स्वीट राधिका" कहे जन-मानष से !
धुनों इनको अब लेके डंडे !!
ये शत्रु मानवता के हैं ! ये शत्रु भारत देश के हैं ! ये शत्रु धर्मं-संस्कृति के हैं ! इनका सामाजिक बहिष्कार स्वस्थ्य समाज के लिए अनिवार्य है !
आओ संकल्प लें ऐसे धार्मिक-आध्यात्मिक-राजनैतिक लुटेरों को इनकी विलासिता-सत्ता से उतार फेंकें - सनातन धर्मं -सनातन संस्कृति -श्रीमदभगवद गीता के द्वारा "महाभारत" रूपी धर्मं युद्ध का परम आदर्श-अनिवार्य भगवद सन्देश प्रदान कर रही है !यदि आपकी इस महाभारत में योद्धा बन संकल्पित होने की इच्छा है तो प्रस्तुत नोट को अपने सभी मित्रों को पोस्ट करें एवं ब्लॉग "राधे-राधे " से निम्नांकित एड्रस लिंक पर क्लिक कर फोलो करें
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...राधे-राधे..हरेकृष्ण !!
क्या आपको ये देश आज स्वतंत्र-आत्मतुष्ट दिखता है ? क्यों गुंडे-बदमाश उच्च पदों पर स्थापित हैं ? क्यों एक ही परिवार के चारों ओर देश की राजनीति घूम जाति है ? क्यों पुलिस बिट्रिश काल की तरह जनता की सेवक न हो कर भक्षक है ?क्यों भारतीय धन स्विटजर-लेंड की बैंकों में है ? क्यों आज जनता बेरोजगार एवं गरीब है ? क्यों आरक्षण रूपी बिष वेळ देश में व्याप्त है ? क्यों जम्मू & कश्मीर के लिए अलग से संबिधान है ? क्यों भारत में समान कानून-न्याय व्यवस्था नहीं है , जबकि छद्म धर्म निरपेक्ष वादी भारत को धर्मं निरपेक्ष कहते हैं , क्यों मुस्लिम विधान के नाम से अलग से क़ानूनी आख्या है ? जब अमरनाथ-कैलाश मान सरोवर जाने के लिए कोई व्यवस्था-अनुदान नहीं तो क्यों काबा जाने के लिए राजकीय सहायता ?क्या हिन्दू होना संकीर्ण-हिंसक या पाप है ,जो इस देश में हिन्दू-हिंदुत्व कहने पर उसे राजनैतिक अश्प्रस्य करार दिया जाता है ? नरेन्द्र मोदी राष्ट्र-भक्त या भारत सम्मान क्यों नहीं है जो उसे भारत में व विदेशों के द्वारा भी अपमानित कराया जाता है , जबकि मोदी आज एक मात्र राजनैतिक व्यक्तित्व है जिसका मेरे द्वारा उल्लेख उसके राष्ट्र निष्ठां कार्यों-सेवा से हो ही जाता है ? क्यों कर देश में साधू-संतों के नाम पर बहिरुपिये नाना भांति के स्वांग रच कर जन-मानष को लूट/खा रहे है ? मित्रो इसका एक ही कारण है परतंत्रता ! अभी हममें परतंत्रता वाकी है , आवश्यकता है जन-चेतना की ,एक और धर्मं युद्ध की -एक और "महाभारत" की !
!!स्वीट राधिका राधे-राधे!!
मित्रो, यदि ये सब पढ़कर आपका लहू राष्ट्र एवं धर्मं सेवा के लिए उबलता हो , आपकी मति राष्ट्र एवं धर्मं सेवा की दिशा में सोचती है-कुछ सेवा की उत्सुक है तो सर्व प्रथम इस नोट को अपने सभी मित्रों-परिचितों को पोस्ट करें तथा राष्ट्र एवं धर्मं सेवा ब्लॉग "राधे-राधे" से जुड़ें व फोलो करें, ब्लॉग ऐड्रस निम्नांकित लिंक पर क्लिक करें !
राधे-राधे..हरेकृष्ण
jay mahakal jay vishwanath !
jay baidhya nath jay som nath !!
jay mamleshwar jay rameshwar !
jay ghrishneshwar kedar nath !!
jay nageshwar jay trayambakeshwar !
jay gopeshwar pashupati nath !!
jay bhuteshwar jay asheshwar !
jay rangeshwar jay adi nath !!
jay mahabaleshwar jay mahadev !
jay panch madeshwar jay gauri nath !!
jay vishwambhar jay digamvar !
jay jagat pita aru jagat mat !!
audhar dani jay ashutosh !
karunavatar jay bhut nath !!
jay-jay shambhu-jay-jay shiva ji !
jay-jay shankar jay uma nath !!
jay gauri pati kailash vasi !
jay amar nath jay bhakt nath
shri radhey -radhey
har-har mahadev
यहाँ पर, मैं किसी की आलोचना के नहीं लिख रही अपितु, अपनी ओर से अपने नगर-क्षेत्र में होने वाली एक गतिविधि के लिए विचार रख रही हूँ कि किस प्रकार इस सुन्दर प्रयास को सुन्दरतम, दिव्य एवं अतुलनीय बनाया जा सके ! राधे-राधे !
ReplyDeletejay mahakal jay vishwanath !
ReplyDeletejay baidhya nath jay som nath !!
jay mamleshwar jay rameshwar !
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shri radhey -radhey
har-har mahadev
shri radhey meri swamini men radhe ju ki daas
ReplyDeletejanam-janam mohi dijiyo priya shri vrindavan vaas
sab dwaran kun chhod ke main aayi tere dwaar
aho brashabhanu ki ladili nenku meri or nihaar
shri radhey meri swamini jivan dhan adhaar
rasik sudha ras raj prabhu mahima amit apaar
kunj bihari ladile shri shyama-shyam sarakar
tere dwaar "sweetie" khadi tuk mere hit hu vichaar
aho kripa mayi ladili nand ke lal gopaal
"sweetie" jivan hit karen nit keli kunj bihaar
shri radha vallabh ladile rasikan meet sujaan
meri bhav badha harau main lakhun prem muskaan
shri kirati suta shri swamini prem liyo avataar
shri vrindavan ki vatika priya priyatam karen vihaar
shri radhey-radhey ras sudha mere jivan geet
murali manohar lal ki kahe shri radhey-radhey geet
shyam sunadar ki muralika gavai radha naam
"sweetie" sang sangit mili shri radhey-shyam ke naam
hamaro dhan radha shriradha-shriradha
jivan dhan radha-radha-radha-radha
param dhan radha shriradha-shriradha
pran dhan radha shriradha-shriradha
hamaro dhan radha shriradha-shriradha
hamaro dhan radha-radha-radha-radha-radha
hamaro dhan radha shriradha-shriradha
*jay-jay shri radhey shyam*